Lok Sabha Elections 2024: देश में चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. जिसके मुताबिक पूरे देश में सात चरणों में मतदान होंगे…मतदान 19 अप्रैल से लेकर 01 जून तक होंगे और नतीजे 4 जून को आएंगे. इसके साथ ही पूरे देश में आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू हो गई है. आचार संहिता के लागू होने का मतलब आप यदि ये समझ रहे हैं कि इससे हमें क्या ये तो नेताओं और पार्टियों (political party) के लिए है तो आप गलत हैं. आचार संहिता लागू होने का असर नेताओं के साथ-साथ आम लोगों पर भी पड़ता है…इसकी अहमियत आप इसी से समझ सकते हैं कि शुक्रवार को केन्द्र सरकार (central government) के कई विभागों ने देर रात काम कर अपने-अपने विभाग के अधूरे पड़े प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी. मसलन नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने 1700 करोड़ के तीन हाई-वे प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है. ये हाई-वे प्रोजेक्ट गुजरात, असम और कर्नाटक के लिए हैं. दूसरी तरफ तीन हाई-वे प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है. ये हाई-वे प्रोजेक्ट गुजरात, असम और कर्नाटक (Gujarat, Assam and Karnataka)के लिए हैं. इसी तरह से आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने 925 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है. ये सभी प्रोजेक्ट्स शुक्रवार को देर रात मंजूर किए गए.ऐसे में सवाल ये है कि आखिर इतनी हड़बड़ी क्यों थी तो इसका जवाब है- आचार संहिता..जाहिर है ऐसे में ये जानना दिलचस्प हो जाता है कि आदर्श आचार संहिता आखिर है क्या चीज…क्या है इसकी पूरी A B C D….
सवाल – क्या है आदर्श आचार संहिता?
जवाब- आदर्श आचार संहिता को हम अंग्रेजी में Model Code Of Conduct कहते हैं. इस संहिता को चुनाव आयोग राजनीतिक दलों की सहमति से तैयार करता है. जिसमें संविधान के अनुच्छेद 324 के अधीन संसद और राज्य विधानमंडलों के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनावों के आयोजन के लिए मार्गदर्शन होता है. इन नियमों का पालन करना सरकार, नेता और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी होती है. आचार संहिता का पालन कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है. जिस वजह से आयोग बेहद शक्तिशाली हो जाता है. चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक निर्वाचन आयोग के कर्मचारी बन जाते हैं.
सवाल- आचार संहिता कब लागू और खत्म होती है?
जवाब- चुनाव के तारीखों के ऐलान होते ही आचार संहिता लागू हो जाती है और मतगणना पूरी हो जाने के बाद खत्म हो जाती है. लोकसभा चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता पूरे देश में जबकि विधानसभा चुनावों के दौरान पूरे राज्य में लागू होती है.
सवाल- क्या आचार संहिता के लागू रहते सभी विकास कार्य रूक जाते हैं?
जवाब- ये पूरी तरह से सही नहीं है. चुनावों की घोषणा से पूर्व शुरू किए गए काम जारी रहते हैं. यदि चुनाव के ऐलान तक काम शुरू नहीं हुए हैं तो फिर उसे नहीं किया जा सकता है. सरकारी खर्च पर चल रहे प्रोजेक्ट्स पर से सरकार का विज्ञापन संदेश हटाना होगा. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कोई भी नया निर्माण कार्य आरंभ नहीं हो सकता है और न ही चुनाव पूरा होने तक किसी भी लाभार्थी को मकान मिल सकता है. इसकेअलावा कुछ मामलों में वरिष्ठ सरकारी अधिकारी किसी राजनीतिक पदाधिकारी को शामिल किए बिना आधारशिला इत्यादि रख सकते हैं. आचार संहिता लागू रहने के दौरान गेहूं और अन्य कृषि-संबंधी उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने के लिए चुनाव आयोग से परामर्श लिया जा सकता है. पूरी चुनावी प्रक्रिया के दौरान कोई सरकारी भर्ती नहीं होगी.
सवाल- कौन-से काम आचार संहिता लागू होने के बाद भी नहीं रुकेंगे?
जवाब- आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र और पेंशन बनवाने के लिए सरकारी दफ्तर जा सकते हैं.साफ-सफाई और बिजली-पानी से जुड़े काम पहले की तरह जारी रहेंगे. इसके अलावा सड़कों की मरम्मत का काम भी चलता रह सकता है. अगर आपने मकान के नक्शे के लिए पहले ही आवेदन दे दिया है तो वो पास होगा. हालांकि, इसके लिए नए आवेदन नहीं लिए जाएंगे. कोई भी अधिकारी चुनाव का बहाना लेकर ये काम नहीं टाल सकता.
सवाल- जनसभा आयोजित करने और लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर क्या है नियम?
जवाब- किसी भी सार्वजनिक या निजी स्थान पर सभा आयोजित करने और जुलूस निकालने के लिए संबंधित थाने का सक्षम अधिकारी से अनुमति लेनी होगी. रात 10.00 बजे से प्रात: 6.00 बजे के बीच लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है,
सवाल- उम्मीदवार-पार्टियों के लिए आचार संहिता में क्या हैं नियम?
जवाब- कोई भी सत्ताधारी नेता सरकारी वाहनों और भवनों का चुनाव प्रचार या चुनावी दौरों में इस्तेमाल नहीं कर सकता.सरकार न तो कोई घोषणा कर सकती है, न शिलान्यास और न ही लोकार्पण कर सकती है.हर प्रत्याशी और राजनीतिक दल को जुलूस, रैली, जनसभा या बैठक करने के लिए चुनाव आयोग से मंजूरी लेनी होगी. इसकी जानकारी नजदीकी थाने को भी देनी होगी. सभा की जगह और समय की जानकारी पहले से पुलिस अधिकारियों को देनी होगी. कोई भी पार्टी या उम्मीदवार ऐसा काम नहीं कर सकती, जिससे जाति, धर्म या भाषाई समुदायों के बीच मतभेद या घृणा फैले.
सवाल- ओपिनियन पोल या एक्जिट पोल दिखाने के नियम क्या होंगे?
जवाब- किसी चरण के मतदान खत्म होने के समय से 48 घंटे पहले तक किसी ओपिनियन पोल के प्रकाशन या इलेक्ट्रानिक मीडिया में उसे दिखाने पर भी पाबंदी लगाई गई है. इसके अलावा मतदान खत्म होने के बाद जब आयोग शाम को अंतिम चुनाव प्रतिशत बता देता है उसके बाद एक्जिट पोल दिखाए जा सकते हैं.
सवाल- मतदान के ठीक पहले और उस दिन कौन से नियम लागू होंगे?
जवाब- मतदान से एक दिन पहले यानी 24 घंटे पहले से किसी भी तरह की बैठक और जनसभा पर रोक रहेगी. पोलिंग बूथ के 100 मीटर के दायरे में किसी पोस्टर-बैनर या प्रचार की अनुमति नहीं होगी. मतदान केंद्रों के आसपास चुनाव चिह्नों का प्रदर्शन नहीं किया जाएगा. केवल चुनाव आयोग से वैध ‘गेट पास’ पाने वाले व्यक्ति ही मतदान बूथ पर जा पाएंगे.
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